5 हजार बांस से बना 35 लाख का पंडाल पूर्णियाका माहौल भक्ति से भरा, दुर्गा पूजा में आस्था काउमड़ा जन सैलाब

पूर्णिया (बिहार) ◆पूर्णिया में दुर्गा पूजा की धूम दिख रही है। अष्टमी को होने वाली मां महागौरी की आराधना के साथ ही सभी पूजा पंडालों में आस्था का जन सैलाब उमड़ना शुरू हो गया है। ढाक और शंख के तेज स्वर ने शहर का माहौल भक्ति और आस्था से भर गया है। आसाम के 5 हजार बांस से बना 35 लाख का भव्य पूजा पंडाल, कालीघाट शक्तिपीठ, बंगाल का प्रसिद्ध गंगारामपुर पूजा पंडाल और महाराष्ट्र के प्रसिद्ध मंदिर के थीम पर शहर के पूजा पंडालों को डेवलप किया गया है।जगमग करती मोहक लाइट से पूरा शहर दुल्हन की तरसाल के सबसे बड़े त्योहार की खूबसूरती देखते ही बन रही है। शहर के 5 से अधिक पूजा पंडालों का बजट 15 लाख से ऊपर का है। 1. शहर के प्रमुख पूजा पांडालों में से एक कप्तानपुल में
फ्रेंडशिप क्लब दुर्गा पूजा समिति की ओर से 35 लाख रुपए
खर्च कर बांस की विचित्र और बारीक कारीगरी से भव्य और
अनूठा पंडाल बनाया गया है। ये जिले का सबसे महंगा पूजा
पंडाल है। पंडाल की चौड़ाई 80 फीट जबकि ऊंचाई 70 फीट
है। इसे आसाम के 5 हजार से अधिक बांस से तैयार किया
गया है।
बंगाली संस्कृति से प्रभावित है पंडाल
पंडाल की भव्यता देखते ही बन रही है। जितना खूबसूरत ये पंडाल है, उतना ही बंगाली आर्टिस्ट की ओर से तैयार की गई मां दुर्गा की प्रतिमा है। ढाक के स्वर के बीच मां के भव्य रूप के दर्शन अनुपम एहसास करा रहा है। पूजा पंडाल से लेकर मां की मूर्ति, यहा सब कुछ बंगाली संस्कृति से प्रभावित है।गुलाबबाग का यह पूजा पंडाल विशेष अपनी भव्यता के लिए जाना जाता है। पंडाल से लेकर लाइटिंग और मूर्तियों की
बनावट सब कुछ आकर्षक और आश्चर्य का अनुभव देने वाला
है।2. प्रसिद्ध भट्ठा दुर्गा बाड़ी पूजा पंडाल शहर के प्राचीन और
प्रसिद्ध पूजा पंडालों में से एक है। 109 साल पुराने इस पूजा पंडाल में बंगाली रीति रिवाज से पूजा की प्रथा कायम है। 25 लाख के बजट से कोलकाता के काली घाट शक्तिपीठ की थीम पर पंडाल को डेवलप किया गया है। ये जिले का दूसरा सबसे बड़ा पंडाल है। 

लोगों के उमड़ने का सिलसिला शुरू
बंगाली पाड़ा का ये पंडाल देश के इस प्रसिद्ध शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर में होने का एहसास कराता है। बंगाल के बहरामपुर से 27 कारीगरों ने डेढ़ महीने में तैयार किया है। महा अष्टमी को लोगों के उमड़ने का सिलसिला शुरू हो गया है। पंडाल की लाजवाब साज-सज्जा और कारीगरी पल भर में ही लोगों का मन मोह रही है। बंगाली पाड़ा होने के साथ हीबंगाल की कालीघाट शक्ति पीठ थीम यहां पहुंचने वाले लोगों को बंगाल में होने का एहसास करा रही है। ढाक, ढोल और मृदंग के बीच मां दुर्गा के अलौकिक दर्शन अद्भुत एहसास करा रहा है।3. शहर के गुलाबबाग स्थित पुराना सिनेमा रोड स्थित
सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति का पूजा पंडाल प्रतिमा, पंडाल और लाइटिंग पर अपने अनूठे प्रयोगों के लिए जाना जाता है। यहां पूजा पंडाल को बंगाल के प्रसिद्ध गंगारामपुर पूजा पंडाल की थीम पर तैयार किया गया है। 27 लाख की लागत से बने इस पंडाल को बंगाल के 20 से अधिक कारीगरों ने डेढ़ महीने में तैयार किया है।सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति की ने हर साल की तरह इस साल भी पंडाल को बेहद ही अलग लुक दिया है। इसकी खूबसूरती और भव्यता देखते ही बन रही है। ये पूजा पंडाल लोगों को बंगाल वाली फीलिंग दे रहा है। यहां मां की प्रतिमा,पंडाल की थीम, बंगाली पूजा के अलावा लाइटिंग में भी बंगाल के दुर्गा पूजा पद्धति की छाप दिखाई दे रही है।
अष्टमी को शाम होते ही पूजा पंडाल में लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा। हाल में कोलकाता में महिला रेजिडेंट डॉक्टर की रेप और निर्मम हत्या से जुड़ी झांकी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। अष्टमी को लोगों ने माता के भव्य रूप के दर्शन किए। सेल्फी और फोटो क्लिक कराने वालों की होड़ लगी रही।4. शहर के प्रमुख पूजा पंडालों में से एक रजनी चौक पर महाराष्ट्र के मंदिर के तर्ज पर पंडाल को डेवलप किया गया है। इसे बनाने में 20 लाख रुपए का बजट आया है। यहां न सिर्फ पंडाल और प्रतिमा बल्कि लाइटिंग और झांकियां लोगों को सहस ही पंडालों तक खींच रही है। हर साल की तरह इस बार भी पूजा पंडाल का भव्य लुक लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसे बंगाल के 15 कारीगर ने महीने भर में मिलकर बनाया है।

पंडाल की बनावट लोगों के बीच चर्चा का विषय
पंडाल की बनावट और कारीगरी लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। जबरदस्त लाइट से रजनी चौक और इससे लगी सड़कें जगमग हैं। अष्टमी को शाम ढलते ही पूजा पंडाल में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस बार दुर्गा पूजा पर यहां बंगाल
वाली रंगत दिख रही है। पंडाल, प्रतिमा और लाइटिंग न सिर्फ
लोगों को आकर्षित कर रही है बल्कि हर किसी की जुबां पर
इसके चर्चे हैं 5. पंचमुखी हनुमान मंदिर रोड स्थित से लगे लाइन्स क्लब की प्रतिमा हर साल लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहती है। यहां साल 1978 से ही मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जा रही है।स्टेशन क्लब नवरत्न दुर्गा पूजा समिति की ओर से पंडाल को आकर्षक रूप देने 18 लाख खर्च किए गए हैं। इसे बंगाल से आए 12 कारीगर ने एक महीने में तैयार किया है। पंडाल, प्रतिमा और लाइटिंग भव्य है। वहीं भव्य परिधान में सजी मां दुर्गा का भव्य रुप देखते ही बन रहा है । ढाक, ढोल,मृदंग और संख के बीच मां दुर्गा का पट खोला गया। मां की एक झलक भर पाने के लिए देर शाम से ही लोगों की भीड़ उमड़ी रही। 6. बाड़ीहाट में 1979 से ही मां की प्रतिमा स्थापित की जा रही है। मां के मंदिर को एक भव्य पूजा पंडाल का रूप दिया गया है। बाड़ीहाट की बेजोड़ लाइटिंग श्रद्धालुओं को खूब आकर्षित कर रही है। इस पूजा पंडाल के निर्माण में 10 लाख की राशि खर्च की गई है। यहां पूजा पंडालों पर मां के सभी नौ रूपों की झलक दिखती है।पूजा पंडाल में बंगाली विधि-विधानों और परंपराओं की छाप साफ देखी जा सकती है। बंगाल के मालदा की छाप यहां षष्ठी से लेकर दशमी तक खेले जाने वाली सिंदूर खेल की प्रथा में साफ झलकती है। पूजा पंडाल की सबसे खास बात यह है कि यहां स्थापना कर्ता से लेकर पूजा पंडाल के पुजारी सभी बंगाली हैं। अष्टमी को मां के भव्य रूप के दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।
बंगाली विधि विधान से पूजा की परंपरा
7. मधुबनी के प्रसिद्ध दुर्गा मंदिर पंडाल की खूबसूरती इस
बार देखते ही बन रही है। मधुबनी में 1917 से ही मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जा रही है। यहां बंगाली विधि विधान से पूजा की परंपरा है। इस बार मधुबनी स्थित दुर्गा मंदिर में
समिति की ओर से भव्य पूजा पंडाल का निर्माण कराया गया है। बंगाल से आए दर्जन भर कारीगरों और कलाकारों ने मां दुर्गा की प्रतिमा और पंडाल को तैयार किया है। इस पर 12 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। महा अष्टमी को मां दुर्गा के एक झलक भर के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। यहां मां दुर्गा की एक मुरादी प्रतिमा स्थापित है।शारदीय नवरात्रि में भक्तों की भारी भीड़ इस मंदिर में उमड़ती है। नवमी को सबसे अधिक बलि इसी मंदिर में दी जाती है। यहां बलि के लिए लाइन लगानी पड़ती है। वहीं, यहां स्थापित की जाने वाली मूर्ति में बंगाली वास्तुकला की छाप साफ देखी जा सकती है।
8. शक्तिरुपा मां दुर्गा की आराधना में केंद्रीय कारा पूर्णिया के बंदी भी पीछे नहीं हैं। कारा के कुल 100 बंदियों ने नवरात्रा रखा है। सेंट्रल जेल स्थित मां दुर्गा के दर्शन यहां आने वाले श्रद्धालुओं को गजब का एहसास कराता है। यही वजह भी है कि लोग सेंट्रल जेल की मां भगवती के दर्शन करना नहीं भूलते। वहीं बंदियों में भी दुर्गा पूजा को लेकर गजब का उत्साह है। 9. रामबाग स्थित सत्यसारथी पूजा समिति के पंडाल को इस बार महाराष्ट्र के प्रसिद्ध पंडाल की थीम दी गई है। जो सहस ही लोगों को अपनी ओर खींच रहा है। पंडाल के निर्माण पर 8 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। पंडाल से लेकर मां दुर्गा की प्रतिमा की खूबसूरती देखते ही बन रही है। अष्टमी को धाम ढलते ही मां दुर्गा के दर्शन के लिए लोगों का तांता लग गया। लोग महासप्तमी की आरती में शामिल हुए। 10. खजांची हाट दुर्गा मंदिर में बड़ी दुर्गा के दर्शन के लिए
मंदिर में लोगों के दर्शन के लिए भीड़ उमड़ी रही। यहां बंगाली विधानों से मां की पुजा अर्चना की परंपरा है। अष्टमी को दीप दिखाने महिला श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।
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