में बुधवार को वक्फ संशोधनअधिनियम के खिलाफ एक
दिवसीय जनसभा हुई। सभा कीअध्यक्षता इमारत-ए-शरिया पटना के मुफ्ती सोहराब आलम ने की।संचालन मौलाना तहसीन फाइच ने किया। सभा का नेतृत्व स्थानीय विधायक शाहनवाज आलम ने किया। आसपास के इलाकों से हजारों लोग पहुंचे। राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि यह कानून
संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। इससे गंगा-जमुनी
तहजीब को नुकसान होगा। उन्होंने इसे सरकार की साजिश बताया। कहा कि सरकार अल्पसंख्यकों पर कानून थोपकर बहुसंख्यकों को खुश करना चाहती है। लेकिन इससे किसी को लाभ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को
फटकार लगाई है। पांच साल मुसलमान होने की शर्त रखी गई है। 12 साल से वक्फ जमीन पर कब्जा है, उसे खत्म किया जाएगा। यह देश सभी धर्मों का है। इसे बचाना होगा। किसान कानून वापस हुआ, यह भी होगा। यह नफरत की आग है, इसे
कामयाब नहीं होने देंगे। वक्फ संपत्ति का पहला फायदा अमीरों को हुआ । यह हिंदू-मुस्लिम दोस्ती पर हमला है। सभा की शुरुआत मनोज झा ने पहलगाम हमले पर एक मिनट का
मौन रखकर की।
एनडीए सरकार अल्पसंख्यकों को बना रही निशाना शाहनवाज आलम विधायक शाहनवाज आलम ने कहा कि वक्फ अधिनियम में संशोधन करना दुखद है। मुसलमानों ने देश की आजादी में बलिदान दिया है। लेकिन एनडीएअल्पसंख्यकों को निशाना बना रही सरकार है। यह देश की शांति और विकास में
बाधा है। कोचाधामन विधायक इजहार अशफी ने कहा कि यह
कानून मुसलमानों के खिलाफ लाया गया है। हम मजबूती से इसका विरोध करेंगे। नरेंद्र मोदी और अमित शाह इसे मुसलमानों के लिए फायदेमंद बता रहे हैं। लेकिन जिन्हें
फायदा होना है, वे ही इसे नहीं चाहते। नीतीश कुमार ने वोट लिया, सुरक्षा का वादा किया, लेकिन धोखा दिया। समस्तीपुर के पूर्व विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने कहा कि सरकार महंगाई और बेरोजगारी से ध्यान हटाकर नफरत फैला रही है।
मुफ्ती सोहराब आलम ने कहा कि यह कानून मुसलमानों के धर्म में दखल है। जब संविधान ने सभी धर्मों को बराबर
अधिकार दिए हैं, तो मुसलमानों से ये अधिकार क्यों छीने
जा रहे हैं। उन्होंने सरकार से कानून वापस लेने की मांग की। एमएलसी कारी सोहेब ने इसे काला कानून बताया। कहा कि यह मुसलमानों की धार्मिक आजादी पर हमला है। यह लड़ाई सिर्फ मुसलमानों की नहीं, सभी धर्मों की है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के उपाध्यक्ष मुफ्ती अतहर अल कासिमी ने कहा कि यह
कानून मजहब पर हमला है। इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह लोकतंत्र पर हमला है। इसे वापस लेना होगा। सभा में सीमांचल के इस्लामिक विद्वान अब्दुल सलाम आदिल नदवी, मौलाना शाहिद आदिल कासमी, मौलाना हुमायूं इकबाल नदवी, काजी अतीकुल्लाह रहमान, मेराज खालिद जग्नो, डॉ.
नवाब आलम, अरुण यादव, मुफ्ती नोमान सहित कई नेता और धर्मगुरु शामिल हुए।
रिपोर्टिंग
राहुल यादव, अररिया,बिहार