पूर्णिया (बिहार) ◆पूर्णिया के फणीश्वरनाथ रेणु TOP (छोटी पुलिस चौकी) की थानेदार शबाना आजमी ने सोशल मीडिया पर फोटो शेयर की, जो काफी वायरल है। फोटो में महिला थानेदार एक बुजुर्ग और एक अन्य शख्स के साथ दिख रही हैं। शबाना आजमी की कुर्सी पर बुजुर्ग बैठे नजर आ रहे हैं। दूसरे तस्वीर में शबाना शख्स को बुके भी देती दिख रही हैं।वायरल फोटो के कैप्शन में उन्होंने लिखा, 'जब मां-बाप की आंखों में खुशी देखनी हो, तब सपने सिर्फ खुद के लिए नहीं होते, विरासत बनानी है, नाम रोशन करना है और एक ऐसी
कहानी छोड़नी है, जो दुनिया याद रखे।'हालांकि, पोस्ट के वायरल होने के बाद शबाना आजमी ने पोस्ट को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से डिलीट कर दिया है। शबाना आजमी की पोस्ट के वायरल होने के बाद DIG प्रमोद कुमार मंडल ने जांच के आदेश दिए थे। हाल ही में शबाना आजमी को एक बड़े केस की जिम्मेदारी दी गई थी। DIG की ओर से जांच के निर्देश के बाद शबाना से केस की जांच की जिम्मेदारी वापस ले ली गई है।रिश्तेदारों को टीओपी में अपनी कुर्सी पर बैठाने की तस्वीरों को लेकर सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने सवाल उठाया और इसे पुलिस मैनुअल एक्ट का उल्लंघन बताया। मामला जब बढ़ा तो शबाना आजमी ने पोस्ट को फेसबुक और इंस्टाग्राम से डिलीट कर दिया। पत्रकार से बातचीत में शबाना आजमी ने बताया, 'अप्रैल में मेरे पिता और दादाजी पहली बार मुझसे मिलने फनीश्वरनाथरेणु टीओपी आए थे। मैं उन्हें देखकर भावुक हो गई थीं उन्होंने मेरे लिए जो किया, आज जो कुछ हूं, उनकी बदौलत ही हूं। लिहाजा, मैंने ऐसे किया। 'हालांकि जब सोशल मीडिया पर मैंने इन तस्वीरों को पोस्ट किया था, तब किसी ने भी विरोध नहीं किया था। सोशल मीडिया पोस्ट पर लोगों ने इस पोस्ट को काफी पसंद किया था। 20 यूजर्स ने इस पोस्ट को शेयर भी किया था । दरअसल, शबाना आजमी उस टीओपी की थानेदार हैं, जिसे पूर्णिया के पूर्व एसपी कार्तिकेय के शर्मा ने शहरी क्षेत्र के लॉ एंड ऑर्डर को ध्यान में रखते हुए बनाया था। टीओपी की शुरुआत काफी धूमधाम से हुई। शबाना आजमी को टीओपी की कमान सौंपी गई। शबाना आजमी सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं।
इंस्टाग्राम पर उनके 212K फॉलोअर्स हैं, जबकि वे
खुद 76 लोगों को फॉलो करती हैं। वहीं फेसबुक पर शबाना आजमी के 15 हजार फॉलोअर्स हैं, इस प्लेटफॉर्म पर शबाना किसी को भी फॉलो नहीं करती हैं।पुलिस मैनुअल और अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम,1968 के तहत पुलिस अधिकारियों को अपने पद की गरिमा और निष्पक्षता बनाए रखने की आवश्यकता होती है। किसी रिश्तेदार को थानेदार की कुर्सी पर बैठाना, भले ही प्रतीकात्मक हो, कार्यस्थल की पवित्रता और आधिकारिक प्रोटोकॉल का उल्लंघन माना जा सकता है। यदि कोई शिकायत दर्ज होती है या यह बात वरिष्ठ
अधिकारियों के संज्ञान में आती है, तो इसे गैर-पेशेवर व्यवहार के रूप में देखा जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप विभागीय जांच या अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।बिहार पुलिस मैनुअल (2024 संशोधन) में उदाहरण के लिए
अधिकारियों की कार्यशैली और अनुशासन पर सख्ती से ध्यान
दिया गया है।कानूनी मामलों के जानकार एडवोकेट गौतम वर्मा ने बताया कि 'पुलिस मैनुअल एक्ट 1861 में पुलिस अधिकारियों के कर्तव्यबोध की चर्चा की गई है। अपनी कुर्सी पर किसी अन्य व्यक्ति को स्थान देना नियमों के विरुद्ध है। इस पर अनुशासनहीनता का संदर्भ देते हुए कार्रवाई की जा सकती
है।'
रिपोर्टिंग
टिंकू दास गुप्ता
असिस्टेंट स्टेट ब्यूरो चीफ, बिहार