किशनगंज (बिहार) ◆किशनगंज शहर के रेलवे कॉलोनी में आज भगवान विश्वकर्मा की पूजा धूमधाम से मनाई जा रही है। सृष्टि के प्रथम शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा को समर्पित यह पर्व श्रमिकों,कारीगरों और इंजीनियरों के लिए विशेष महत्व रखता है।रेलवे कॉलोनी में विभिन्न पंडालों में भव्य पूजा-अर्चना का आयोजन हो रहा है, जहां सैकड़ों भक्तों ने भाग लिया। शहर में कन्या संक्रांति के अवसर पर सूर्य के कन्या राशि में प्रवेश के साथ ही यह उत्सव शुरू हो गया। रेलवे कॉलोनी में 6 से अधिक स्थानों पर पूजा पंडाल सजाए गए हैं। मूर्तिकारों ने भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमाओं को विशेष सजावट के साथ स्थापित किया। गैरेज, विद्युत कार्यालय, परिवहन सेवाओं और रेलवे वर्कशॉप्स में जुड़े लोग अपने औजारों, मशीनों और वाहनों की विशेष पूजा कर रहे हैं। सुबह से ही श्रद्धालु फूल, फल, मिठाई और धूप-दीप लेकर पंडालों में पहुंच रहे हैं। रंगोली, तोरण और फूलों की मालाओं से सजाए गए पंडालों में भजन-कीर्तन और मंत्रोच्चार का दौर चल रहा है।एक कारीगर ने बताया, "भगवान विश्वकर्मा हम कारीगरों के आराध्य हैं। उनकी कृपा से हमारे कार्य में सफलता मिलती है। इस साल पूजा को लेकर विशेष उत्साह है, क्योंकि महामारी के बाद यह पहला बड़ा पर्व है।" इसी तरह, रेलवे कर्मचारी सुनील कुमार ने कहा, "रेलवे कॉलोनी में हमेशा की तरह इस बार भी कई पंडाल बने हैं। हम अपनी मशीनों की सफाई कर पूजा कर रहे हैं, ताकि काम में कोई बाधा न आए।" पूजा के बाद प्रसाद वितरण किया जा रहा है।
विश्वकर्मा पूजा का धार्मिक महत्व अत्यंत गहन है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने सोने की लंका, पुष्पक विमान, द्वारका नगरी और देवताओं के शस्त्रों का
निर्माण किया। वे वास्तुकला, यांत्रिकी और शिल्पकला के देवता हैं। इस दिन शिल्पकार अपनी कार्यस्थलों को साफ-सुथरा कर मशीनों की पूजा करते हैं, जिससे कार्यक्षेत्र में समृद्धि और सुरक्षा की कामना की जाती है। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यह पर्व विशेष जोश के साथ मनाया जाता है। किशनगंज जैसे सीमांचल क्षेत्र में रेलवे कॉलोनी के अलावा शहर के अन्य हिस्सों जैसे गैरेज और फैक्टरियों में भी समान उत्साह देखा जा रहा है।पूजा के दौरान स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। ट्रैफिक पुलिस ने रेलवे कॉलोनी क्षेत्र में यातायात प्रबंधन के लिए विशेष व्यवस्था की है। पर्यावरण संरक्षण के तहत इको-फ्रेंडली पूजा सामग्री का उपयोग करने पर जोर दिया गया है। यह पर्व न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, जो श्रम और कौशल की पूजा सिखाता है।किशनगंज के इस उत्सव से स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिला है, क्योंकि पूजा सामग्री की दुकानों पर अच्छी बिक्री हो
रही है।