बढ़ती जनसंख्या से स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहाअसर

किशनगंज (बिहार) ◆सदर अस्पताल परिसर में बुधवार को जिला स्तरीय परिवार नियोजन मेला का आयोजन किया गया। सिविल सर्जन डॉक्टर राज कुमार चौधरी ने मेला का विधिवत उद्घाटन किया । सर्जन ने कहा कि बढ़ती जनसंख्या का दबाव स्वास्थ्य सेवाओं पर ही नहीं, बल्कि शिक्षा, पोषण, रोजगार और सामाजिक विकास पर भी गहरा प्रभाव डालता है।
सीमावर्ती किशनगंज में यह चुनौती और संवेदनशील हो जाती
है।डॉ. चौधरी ने कहा कि परिवार नियोजन केवल चिकित्सा
कार्यक्रम नहीं, बल्कि समाज को मजबूत बनाने का माध्यम
है। जब दंपति छोटे परिवार की अवधारणा अपनाते हैं, तभी
हम बच्चों को बेहतर शिक्षा, माताओं को सुरक्षित मातृत्व
और युवाओं को अधिक अवसर प्रदान कर पाते हैं। इस कार्य
सहयोगी संस्था पीएसआई एवं सिफार का सहयोग हमेशा
रहा है।मीडिया को संबोधित करते हुए डॉ. चौधरी ने कहा
कि परिवार नियोजन के क्षेत्र में पुरुषों की भूमिका अभी भी
बेहद कम है।उन्होंने कहा कि पुरुष नसबंदी एक सुरक्षित,
सरल और प्रभावी उपाय है। लेकिन भ्रांतियों के कारण पुरुष
आगे नहीं आते। जब तक पुरुष जिम्मेदारी साझा नहीं करेंगे,
तब तक जनसंख्या स्थिरता का प्रयास अधूरा रहेगा । सदर
अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. अनवर हुसैन ने कहा कि वर्तमान में गर्भनिरोधक साधनों का बोझ मुख्यतः महिलाओं पर है।
जिससे उनके स्वास्थ्य पर दबाव बढ़ता है। उन्होंने पुरुषों
हुए भ्रांतियों को दूर करना की भूमिका को अनिवार्य बताते
आवश्यक है।जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार
ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी गर्भनिरोधक साधनों
की जानकारी सीमित है। उन्होंने कहा कि अंतरा, छाया और
कॉपर-टी जैसे साधन महिलाओं को सुविधा और विकल्प
प्रदान करते हैं, लेकिन सही जानकारी न होने से लाभ नहीं
मिल पाता है। गैर-संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी
ने कहा कि लगातार गर्भधारण से एनीमिया, ब्लड प्रेशर और
अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। परिवार नियोजन
महिलाओं के स्वास्थ्य सुधार और मातृ मृत्यु दर कम करने का
महत्वपूर्ण साधन है। जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार
ने बताया कि कई परिवार आर्थिक कारणों से सेवाओं का
उपयोग नहीं करते, जबकि सभी सेवाएं निःशुल्क उपलब्ध हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पुरुष नसबंदी पर 3000 रुपया,
महिला नसबंदी पर 2000 रुपया और अंतरा-कॉपर-टी पर
100 से 300 रुपये की प्रोत्साहन राशि सीधे लाभुकों को दी
जाती है।डॉ. चौधरी ने बताया कि मुस्लिम बहुल क्षेत्रों सहित
हर गांव में आशा द्वारा काउंसलिंग, ग्राम चौपाल और स्वास्थ्य
शिविरों के माध्यम से संदेश पहुँचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब अधिक पुरुष स्वेच्छा से आगे आ रहे हैं, जो
सकारात्मक बदलाव का संकेत है।