हिंदू-मुस्लिम एकता के मिसाल अब्दुल रहमान को पैरालिसिस:महावीर मंदिर कमिटी से जुड़ा है परिवार, गाते रहे हैं भक्ति गीत

अररिया (बिहार) ◆ अररिया में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करनेवाले अब्दुल रहमान बीमार हो गए हैं। उन्हें पैरालाइसिस हो गया है। अब्दुल रहमान हनुमान मंदिर में रामायण पाठ के साथ भक्ति कार्यक्रम करने के लिए जाने जाते हैं। अब्दुल रहमान की मुस्लिम धर्म ग्रंथों के साथ ही हिंदू धर्म ग्रंथों पर भी अच्छी-खासी पकड़ मानी जाती है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तक के साथ कवि सम्मेलनों में मंच साझा किया है। फणीश्वर नाथ रेणु के साथ जेपी आंदोलन में भी योगदान दिया था। अब उनकी बीमारी सामने आने के बाद इलाके के लोग दुखी हैं। रोज ही उनके घर पर दोनों समुदायों के लोगों की भीड़ उमड़ रही है। लोग उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं। अब्दुल रहमान भरगामा प्रखंड के खजुरी वार्ड संख्या-7 निवासी हैं। वो बीते कई दशकों से हनुमान मंदिर में भक्ति कार्यक्रम कर हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल कायम किए हुए हैं। बीते दिनों उन्हें पैरालाइसिस मार दिया, जिसके बाद उनकी सेहत ठीक नहीं रहती। स्थानीय चंदेश्वरी दास, भुवनेश्वर प्रसाद यादव, अनिल कुमार यादव सहित दर्जनों लोगों ने बताया कि अब्दुल रहमान बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति हैं। उन्होंने समाज के हर एक व्यक्ति को अपने साथ जोड़कर रखा है। अब्दुल रहमान कई रेडियो स्टेशन में अपना कार्यक्रम पेश कर चुके हैं। बुजुर्ग लोग बताते हैं कि रेडियो पर जब उनका कार्यक्रम आता था तो पूरे गांव के लोग बेहद खुश होते थे। उनके अस्वस्थ होने के बाद अब भक्ति कार्यक्रमों के आयोजन में उनकी कमी लोगों को महसूस हो रही है। प्रत्येक दिन उनके घर मेले जैसा नजारा देखने को मिलता है। समाज के हर तबके के लोग मिलने व हाल-चाल जानने उनके पास पहुंचते हैं। बेटे इरफान ने बताया कि उनके पिता ने जेपी आंदोलन में फणीश्वर नाथ रेणु के साथ अपना योगदान दिया था। साथ ही उनके पिता हिंदू ग्रंथ और मुस्लिम ग्रंथों में भी अच्छी पकड़ रखते हैं। वे एक हाथ से हिंदी तो दूसरे हाथ से उर्दू लिखते थे। उनके सामने अगर कोई बैठा होता तो वह उनकी तस्वीर बना डालते थे। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के साथ कई बार कवि सम्मेलनों में भी भाग लिया है। पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ जाकिर हुसैन के साथ भी इनका ताल्लुकात रहा है। कहा कि वह अच्छे कवि भी थे, इनकी एक चर्चित कविता है भोले शंकर डमरू वाले क्या खूब सजाई है दुनिया, तू घट-घट में तू हर घट में, कहीं ढोल बजे कहीं हरमुनिया, हे गौरी पति सृष्टिकर्ता, तू जो चाहे वैसा करता, दुख दूर करो हम दुखियों की, मुंह फेर लिया हमसे दुनिया, भोले शंकर डमरू वाले क्या खूब सजाई है दुनिया, तू घट-घट में तू हर घट में कहीं ढोल बजे कहीं हरमुनिया हनुमान मंदिर कमिटी से जुड़ा रहा है परिवार अब्दुल रहमान का कहना है कि ईश्वर-अल्लाह एक हैं। हम तो केवल इंसानियत को मानते हैं। जिस शिद्दत के साथ नमाज अदा करते हैं और इस्लाम के पवित्र महीने रमजान में रोज़ा रखते हैं, उसी शिद्दत के साथ हनुमान जी के प्रति सम्मान रखते हैं। अब्दुल रहमान और उनका परिवार बीते कई दशकों से खजुरी बाजार स्थित हनुमान मंदिर कमिटी से जुड़ा रहा है। मंदिर बनाने में सहयोग किया है। मंदिर में होने वाले कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। अपने भजनों से लोगों का मन मोह लेते थे।


रिपोर्टिंग, पिंकू श्रीवास्तव, बिहार )

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