अररिया (बिहार) ◆अररिया जिला निबंधन कार्यालय में वर्षों से चल रहे एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। यहां मूल अभिलेखों को गायब कर फर्जी दस्तावेज तैयार किए जा रहे थे। इस मामले का खुलासा स्वयं जिला अवर निबंधक पदाधिकारी कौशल झा ने किया है।कौशल झा के अनुसार, शिकायत मिलने के बाद कार्यालय अभिलेखों की जांच की गई। जांच में पाया गया कि अभिलेख संख्या 10272 की जिल्द 65 में पेज 344 से 346 तक के मूल पृष्ठों को फाड़ दिया गया था और उनकी जगह नकली (फर्जी दस्तावेज चिपका दिए गए थे ।यह घटना अगस्त से अक्टूबर के बीच की बताई जा रही है। जांच से यह भी सामने आया कि पिछले चार महीनों में इस फर्जी दस्तावेज की नकल तीन बार निकाली गई, जिससे भूमि माफिया को लाभ पहुंचाया गया।विभाग ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए 10आरोपियों के खिलाफ नगर थाने में नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई है। इनमें आउटसोर्सिंग एजेंसी से बहाल एमटीएस कर्मी रोहित रंजन और मोहम्मद शहनवाज सहित आठ अन्य बाहरी लोग शामिल हैं। आरोपियों पर मूल दस्तावेज नष्ट करने और फर्जीवाड़े का गंभीर आरोप है।यह चौंकाने वाली बात है कि मार्च महीने में भी इसी तरह की गड़बड़ी विभागीय कर्मियों की मिलीभगत से हुई थी, लेकिन उस मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यह घटना कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार की गहराई को दर्शाती है।अररिया एसपी अंजनी कुमार ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नगर थाने में केस दर्ज कर लिया गया है। पुलिस पूरे मामले की गहन जांच कर रही है और सभी आरोपियों को शीघ्र गिरफ्तार किया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
यह घटना बिहार में भूमि रजिस्ट्री घोटालों की बढ़ती संख्या को
उजागर करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे फर्जीवाड़े
से न केवल सरकारी राजस्व को नुकसान होता है, बल्कि
आम लोगों की संपत्ति पर भी खतरा मंडराता है। विभाग को
डिजिटलीकरण और सख्त निगरानी की आवश्यकता है ताकि
भविष्य में ऐसे मामलों को रोका जा सके।
रिपोर्टिंग
विकाश कुमार सिंह,अररिया,बिहार